मेरे कुछ मित्रों को यह शंका है कि वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान राम मांसाहारी थे.प्रतिदिन वाल्मीकि रामायण से नए-नए श्लोक खोज कर लाए जाते हैं,जो यह सिद्ध करने की कोशिश करते है कि भगवान राम मांसाहारी थे.इस शंका का समाधान होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि भगवान राम के साथ पूरे भारतवर्ष की आस्था जुडी हुई है.
श्रीराम को मांसाहारी बताए जाने का कारण :-
रामायण काल लाखों साल पुराना है.भारतवर्ष में महाभारत काल के पश्चात तथा उसमें भी विशेष रूप से 2400 वर्ष पहले अनेकों परिवर्तन आने शुरू हो गए थे,जैसे ऐश्वर्या वैदिक ज्ञान व वैदिक संस्कृति का लोप होना और वेदों में मिलावट करके खुद वेदों को वेदों के खिलाफ खड़ा करना आदि थे.इन मतों का प्रचार-प्रसार करने का जिम्मा वाममार्ग ने उठाया था.वाममार्ग की मूल विचारधारा वेद विरोधी ही नहीं मानवता विरोधी भी थी.वे मदिरा, मैथून, मीन और मांसाहार को मनुष्य की मुक्ति का मार्ग मानते थे.
मै वाल्मीकि रामायण से ही ऐसे तथ्य दूंगा जो यह साबित कर देंगे की भगवान राम मांसाहारी नहीं थे.
1. रामायण बालकांड
रामायण के बाल कांड में, ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ के समक्ष जाकर उन्हें अपनी समस्या बताते हैं की जब वे यज्ञ करने लगते हैं,तब मारीच और सुबाहु नाम के दो राक्षस यज्ञ में विघ्न डालते हैं.वे माँस,रुधिर (खून) आदि से यज्ञ को अपवित्र कर देते हैं। रजा दशरथ श्री रामचंद्र एवं लक्ष्मण जी को उनके साथ राक्षसों का विध्वंस (मारने ) करने के लिए भेज देते हैं,जिसका परिणाम यज्ञ का निर्विघ्न सम्पन्न होना एवं राक्षसों का संहार होता हैं।जो लोग यज्ञ आदि में पशु बलि आदि का विधान होना मानते हैं, वाल्मीकि रामायण में राजा दशरथ द्वारा किये गये अश्वमेध यज्ञ में पशु बलि आदि का होना मानते हैं उनसे हमारा यह स्पष्ट प्रश्न हैं,अगर यज्ञ में पशु बलि का विधान होता,तो फिर ऋषि विश्वामित्र की तो राक्षस उनके यज्ञ में माँस आदि डालकर उनकी सहायता कर रहे थे नाकि उनके यज्ञ में विघ्न डाल रहे थे.
2.महर्षि वशिष्ठ द्वारा महर्षि विश्वामित्र जी का आदर-सत्कार :-
एक आरोप यह भी लगाया जाता है,कि प्राचीन भारत में अतिथि आदर सत्कार मांस से किया जाता था इस बात का खंडन खुद महर्षि वाल्मीकि जी द्वारा लिखी रामायण में मिलता है जब ऋषि विश्वामित्र ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में पधारते हैं तो ऋषि वशिष्ठ ऋषि विश्वामित्र का सत्कार माँस आदि से नहीं बल्कि सभी गन्ने से बनाये हुए थे,चावल,खीर,दाल,दही आदि से किया था। यहाँ पर माँस आदि का किसी भी प्रकार का कोई उल्लेख नहीं हैं।बाल कांड सर्ग 52 एवं सर्ग 56 श्लोक 1-3
3.सोने का हिरण
एक आरोप यह भी लगाया जाता है कि सोने के हिरण को देखते ही माता सीता ने श्रीराम को अपने तीर कमान निकाल लेने के लिए कहा और उस हिरण का निरीक्षण करने को कहा ताकि वह उसका मांस खा सके इसमें निरीक्षण तक की बात तो ठीक है क्योंकि जंगल में रहते रहते हैं श्रीराम और माता सीता ने अनेकों राक्षसों का सामना कर चुके थे सोने का हिरण देखते ही माता सीता समझ जाती है कि यह भी कोई मायावी राक्षस है जो हिरण के वेश में आया है इसीलिए माता सीता श्रीराम से अपने तीर कमान निकाल के उस हिरण का निरीक्षण करने की बात कहती है ताकि यह पता लग सके कि वह कोई राक्षस तो नहीं है न की उस हिरण का मांस खाने के लिए.
वेद और मनुस्मृति भी मांस भक्षण का विरोध करती है और मांसाहार खाने को मना करते हैं तो फिर यह कैसे कहा जा सकता है कि भगवान राम मांसाहारी थे.
श्रीराम को मांसाहारी बताए जाने का कारण :-
रामायण काल लाखों साल पुराना है.भारतवर्ष में महाभारत काल के पश्चात तथा उसमें भी विशेष रूप से 2400 वर्ष पहले अनेकों परिवर्तन आने शुरू हो गए थे,जैसे ऐश्वर्या वैदिक ज्ञान व वैदिक संस्कृति का लोप होना और वेदों में मिलावट करके खुद वेदों को वेदों के खिलाफ खड़ा करना आदि थे.इन मतों का प्रचार-प्रसार करने का जिम्मा वाममार्ग ने उठाया था.वाममार्ग की मूल विचारधारा वेद विरोधी ही नहीं मानवता विरोधी भी थी.वे मदिरा, मैथून, मीन और मांसाहार को मनुष्य की मुक्ति का मार्ग मानते थे.
मै वाल्मीकि रामायण से ही ऐसे तथ्य दूंगा जो यह साबित कर देंगे की भगवान राम मांसाहारी नहीं थे.
1. रामायण बालकांड
रामायण के बाल कांड में, ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ के समक्ष जाकर उन्हें अपनी समस्या बताते हैं की जब वे यज्ञ करने लगते हैं,तब मारीच और सुबाहु नाम के दो राक्षस यज्ञ में विघ्न डालते हैं.वे माँस,रुधिर (खून) आदि से यज्ञ को अपवित्र कर देते हैं। रजा दशरथ श्री रामचंद्र एवं लक्ष्मण जी को उनके साथ राक्षसों का विध्वंस (मारने ) करने के लिए भेज देते हैं,जिसका परिणाम यज्ञ का निर्विघ्न सम्पन्न होना एवं राक्षसों का संहार होता हैं।जो लोग यज्ञ आदि में पशु बलि आदि का विधान होना मानते हैं, वाल्मीकि रामायण में राजा दशरथ द्वारा किये गये अश्वमेध यज्ञ में पशु बलि आदि का होना मानते हैं उनसे हमारा यह स्पष्ट प्रश्न हैं,अगर यज्ञ में पशु बलि का विधान होता,तो फिर ऋषि विश्वामित्र की तो राक्षस उनके यज्ञ में माँस आदि डालकर उनकी सहायता कर रहे थे नाकि उनके यज्ञ में विघ्न डाल रहे थे.
2.महर्षि वशिष्ठ द्वारा महर्षि विश्वामित्र जी का आदर-सत्कार :-
एक आरोप यह भी लगाया जाता है,कि प्राचीन भारत में अतिथि आदर सत्कार मांस से किया जाता था इस बात का खंडन खुद महर्षि वाल्मीकि जी द्वारा लिखी रामायण में मिलता है जब ऋषि विश्वामित्र ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में पधारते हैं तो ऋषि वशिष्ठ ऋषि विश्वामित्र का सत्कार माँस आदि से नहीं बल्कि सभी गन्ने से बनाये हुए थे,चावल,खीर,दाल,दही आदि से किया था। यहाँ पर माँस आदि का किसी भी प्रकार का कोई उल्लेख नहीं हैं।बाल कांड सर्ग 52 एवं सर्ग 56 श्लोक 1-3
3.सोने का हिरण
एक आरोप यह भी लगाया जाता है कि सोने के हिरण को देखते ही माता सीता ने श्रीराम को अपने तीर कमान निकाल लेने के लिए कहा और उस हिरण का निरीक्षण करने को कहा ताकि वह उसका मांस खा सके इसमें निरीक्षण तक की बात तो ठीक है क्योंकि जंगल में रहते रहते हैं श्रीराम और माता सीता ने अनेकों राक्षसों का सामना कर चुके थे सोने का हिरण देखते ही माता सीता समझ जाती है कि यह भी कोई मायावी राक्षस है जो हिरण के वेश में आया है इसीलिए माता सीता श्रीराम से अपने तीर कमान निकाल के उस हिरण का निरीक्षण करने की बात कहती है ताकि यह पता लग सके कि वह कोई राक्षस तो नहीं है न की उस हिरण का मांस खाने के लिए.
वेद और मनुस्मृति भी मांस भक्षण का विरोध करती है और मांसाहार खाने को मना करते हैं तो फिर यह कैसे कहा जा सकता है कि भगवान राम मांसाहारी थे.
very good information kep it up
ReplyDeleteजात पात को bhadava दे रखा है। इन सभी ने।
Deleteबिल्कुल सही बात है
ReplyDeleteक्या सही और क्या जुट यह समझना मुश्किल है क्योकी इस बात को पाच हजार साल बित गये
Deleteओ लुल्लु। क्या देखा टी वी मे आज तक। तुम लोगो ने ही ये असली ग्रंथो को नष्ट कर दिया और अपनी पंक्तिया लिखकर लोगो मे बांट दी। 5000 साल पहले तो महाभारत हुई थी।
Deleteवैसे मैंने ये युद्ध नही देखा।
इतना जरूर पता है मुझे भी 5000 साल पहले प्रॉपर्टी को लेकर चाचे ताऊ के बच्चो मे लड़ाई हुई थी।
Delete
ReplyDeleteमहाशय दशरथ राजा एक बार शिकारी के लिए नदी के किनारे बैठे थे. ...
जब श्रवणकुमार आपने प्यासे माता-पिता के लिए पाणी भरने आये थे
ऊसी समय कोई जानवर पाणी पीने आया यह सोचकर दशरथ ने ध्वनी की तरफ तीर चलाया ओर श्रवणकुमार की मौत हो गयी है. ..
आगर दशरथ राजा मांसाहारी नही थे जब वह शिकार क्यो करते थे जंगली जानवरों की. ..
राम भी एक ऊत्कुष्ठ शिकारी थी ऊन्होने दौडनेवाले हीरण का पिछाकरकर एक तीर मे गिराया था. ..
एक शिकारी दौडनेवाले हीरण को मार गीरा सकता है. ...
दौडनेवाले हरीण को मारना ईतना आसान नही है ...
एक शिकारी आथांग कोशिस के बाद ही निशाने पर सही तीर लगाता है ईतके लिए कडी परीश्रम ओर मेहनत ही करनी पडती है. ..
raja dasrat sirf tahalne gaye thein nadi ke kinaare per unhe haathi ke garajne ki awaaj aayi aur jab shrawan kumar paani bhar raha thaa unhe door se wo dasrat ko dikhe to maharaj dasrat ne haathi samajh kar behos karne ke liye tir chalaayaa thaa taaki wo haathi ko pakar kar le jaaye kyunki haathi sena me jaruri hota thaa maharaj dasrat ne maarne ke liye nahi behos karne ke liye tir chalaayaa thaa jo sharwan kumar ko lagi jisse unki maut ho gayi
Deleteकितना झूट लिखोगे मित्र
Deleteराजा दशरथ एक आदमखोर हाथी के शिकार के लिए जंगल गए थे।
DeleteHum shatriya h.
DeleteCricet footboll mobile nhi the tab.
Aakhet kerna aur apni perja ko jangli janvero se bhay mukt kerna hamara kertavya tha.
Ab mosquito lizard cocroch martry to hum abhi bhi per tum khatey ho aisa ho sakta hum nhi.
Aise he vadh kerna aur nonveg khana do alag baat h.
Shikar kerna alag baat h ktyonki humko lenge main chupna nhi aata tha to perja ke raksha ko jatey the.
Are bc agar sahi ramayan pta na ho to gyan mt pela kro bahn ke lodo mulo
Deleteरामजी खुद भी बाल काँड मे हिरण को मारकर सभी भाईयों संग भोजन किये है।भरत जब राम से मिलने बन मे गये तो महर्षि के आश्रम मे सभी वर्णों के लिए अलग-अलग भोज्यपदार्थ की ब्यवस्था था,उसमे माँसाहार भी था।
ReplyDeleteaap bilkul galat ho bhojan me maas nahi thaa aapki jaankaari galat hai
DeleteBilkul galat jankari baal kand me ASA kuch nhi hai...apki jankari galat hai
DeleteAp vaha dekhane gaye the mass h ya mithae aur ap andhvishwas me ji rhe h
DeleteKis ramayan ke baat kertey?
DeleteLikhne ko to shatriyo se chid ker bhut kuch likha gya h.
Te bhi kaha jata bhim army kehti raja ram gernal caste ne sc ravan ko maara😂
Abey jao yaar apni chid kahin aur dhikhao
राम क्षत्रिय राजा थे और उनका धर्म अपने राज्य और प्रजा की रक्षा करना था और शारीरिक शक्ति के लिए क्षत्रियों में मांसाहार सामान्य बात थी. हम उनके गुणों के कारण भगवान मानते है, उन्होंने कभी कहा मैं भगवान हूं।
ReplyDelete
DeleteBhai kshatriyon ka shonk hota hai shikar karna iska matlab ye bilkul nahi hai ki vah us shikar ka bhojan karen.... Pehle apni soch badlo tabhi kisi ko samjh paoge
अगर वो सिर्फ भगवान थे विष्णु जी का अवतार थे यहाँ तक ठीक है लेकिन वो असब्ख्यो ब्रह्मांड को रचने वाले परमात्मा नही थे क्योंकि विष्णु जी सिर्फ तीन लोक के स्वामी है और परमात्मा ने अंसख्य्यो भ्रह्मण्ड की रचना की और वेदों में अपने विधान में लिखा है मास का भोजन मनुष्य लिए नही है उनके लिए परमात्मा ने फल तथा बीजो वाले अनाज बनाया है।।।।।
DeleteR.singh bhagwan kabhi bolte hai ki wo bhagwan hai per unhe aise hi bhagwan nahi kaha gaya unka janam alag tarike se huaa, and aur bhi chamatkaar kiye unhone aur rishiyo ko bhi maalum thaa wo bhagwan hai and others
DeleteR.singh raawan bhi bhagwan ram ke haatho marna chaahta thaa kyunki usko bhi pata thaa ki ram bhagwan hai and lord Ram sudh sakaahaari thein
Deleteभाई एक बात बताओ। हम सभी कॉपी राइट करने वाले को गलत ठहराते है। या नही। आओ।सभी लोग रामायण के असली रचयिता को क्यों नही मानते। रामचरित मानस तोह कॉपी किया है। फिर उसको इतनी तबज्जो क्यो देते हो। अगर भगवान वाल्मीकि ना होते तोह राम भी न होते। सभी को पता है रामायण कई वर्षों पहले ही वाल्मीकि जी ने लिख दी थी। तोह उनका गुणगान करने मे इतनी इर्ष्या क्यो रखते हो। बहुत लोगो को मैन देखा है
Deleteऔर हर जगह पंडित है श्राप क्यो देता है। आज तोह सारे पंडित मास मच्छी बकरा सब छुप कर खाते है।
DeleteBhai sab Pandit nhi kuch ho sakte
Deleteराम जी क्षत्रिय थे उन्होंने मासाहार चुना क्योंकि राजलोग ये ही भोजन करते थे।।।।लेकिन उन्होंने परमात्मा के विधान के विपरीत आहार किया।।।।वो परमात्मा नही हो सकते वो सिर्फ विष्णु जी का अवतार थे जो उन्हें श्राप की वजह जन्म लेना पड़ा।।।।।वो मोक्ष का ज्ञान देने नही आये थे।।।।वो सिर्फ राक्षसों को मारने आये थे
ReplyDeleteसही कहा कृष्ण जी के समय राम की पूजा नही होती थी क्योंकि वे उनके विचार से राजा ही थे नही तो महाभारत काल मे उनका भगवान के रूप में कही न कहीं जरुर उल्लेख होता। यहाँ तक भगवान कृष्ण की पूजा का प्रारम्भ सर्वप्रथम भागवतों (एक सम्प्रदाय) ने की थी। वे भगवान थे हमे बचपन से बताया गया, लेकिन इन्ही रूपो में ध्यान करना निराकार ध्यान करने की अपेक्षा आम लोंगों के लिए सुविधाजनक है।
DeleteR.singh krishna ji ke time per bhi diwali manayi jaati thii
DeleteHemu singh vishnu ji bhagwan hi to hai aur wo avtaar leke rakshasho ko maarne aaye thein aur bhagwan ram vegetarian thein aapme samajh aur gyaan ki kami hai
DeleteKha SE jaankari late hai ap
Deleteये सभी मांसाहारी थे या नही। ये आपने देखा स्वयं देखा है। ये सभी इंसान थे। ये राजा महाराजा थे। जैसा लिख दिया वैसा मान लिया। हमारे देश मे बहुत भेड़ चाल है। ये हर जगह पंडितो को महत्व दिया हुआ है। कोई भी पुराणिक किताब उठा लो। उसमे बस इनकी ही बात लिखी है। ये तोह भगवान से बीबी ऊपर हो जाते है कि किताबों और टी वी सीरियल मे। ये तोह भगवानो को भी श्राप दे देते थे। कितनी बकवास बाते इन्होंने लोगो पर थोप रखी है।
Deleteभगवान है मैं मना नही करता। ये वो अदृश्य शक्तियां है। जो हमे दिखाई नही देती पर हमे महसूस जरूर होती है। कुछ जात और धर्म जे ठेकेदारों ने अपने रुतबे और पैसे बनाने के लिए ये सब किया हुआ है। ये प्रथा अभी तक चलती आ रही है
Wah param aatma to yahan baithe the. Sant mahatma rishi pandit sab puri jingdi tap kiya vaid likhe granth likhe.
DeleteAaj ek vidhwan jinhone phd ke h bhagwan per wo samney aaye h.
Samman lena to kuch bano ya karo aise nhi milta.jitna jalna chidna jalo chido
Jab devils aaye kahan the? Lehnge main.
Ye lehnge main chipne walo ko aaj bhagwan pandit gernal sab se jalan h. Aaj inke muh main jaban aa gyi jo gandi the aur rahegi.
ब्रो मुझे एक बात बता सकते है? भागवत महापुराण के अनुसार क्या प्रभु श्री कृष्ण हिरण का शिकार करते थे?
Deleteagr seeta ji itni samjhdaar thi ki hiran pe rakshas hone ka shaq kr baithi r baba k bhesh me ravan ko ni phchan pai . sb jhuth h tum log ye safai iskie dete ho kyuki tumhe lgta h ki mans madira ka sevan krna galat h... ram ji kshatriya the aur wo mansahari bhi the safai dena bnd kro
ReplyDeleteकौन कहता है शराब और मास का सेवन गलत है। आज के समय मे सबसे ज्यादा मास ऑफ मदिरा का सेवन ब्राहमण लोग करते है। बाबत सारे ऐसे है जो मेरे साथ कहते है। ये वे लोग है जिनके पिता मंदिर मे पुजारी है या पूजा पाठ करते है। वीडियो प्रूफ भी मेरे पास खाते हुए का। ये सब मिलकर सब्बि लोगो का मूर्ख बना रहे है।
DeleteChef aur saki to aap the na.
DeleteSurpnakha ke frnd the kya jo sab pata h.
Aakheit ya sikar kerna alag baat h aur maas bhakshan alag baat h.
Tum mosquito cocroch ko marti ho kya khati bhi ho kya?
Kamal h
Jai shree ram
ReplyDeleteStill Confusion sita mata ne kaha ki muje hiran lake dijiye
Prabhu ram ne pucha kya karogi hiran ka to mata sita ne kaha ise ayodhya leke jayenga ya pooja mai baithne mai upyog lenge
धन्यभाग हमारे जो आप हमें इस बात के प्रत्यक्ष दर्शी मिले। मंदिर मे पूजा करते समय बिठाने की बात कही माता जी ने। भाई अपना पता भेजना। जरूर दर्शन करूँगा आपके।
Deleteपावन मृग मारहिं जिय जानी।नित प्रति नृपहि देखावहिं आनी
ReplyDeleteतुलसी दास राम चरित मानस।
Hmare desh m hmesha yhi hota h ki apni hi pahchan ko khud hi mitane m lge h log kitne hjaaro sal se hm log Diwali mnate aarhe h .fir bhi logo ko ram k bare m shk hota h ki vo bhagwan h ya nhi hm logo k andr h bhagwan sri ram koi sdiyo tk ese hi nhi Pooja jata koi to bat h ram k naam m ki hm logo ka sbse bda tyohar Diwali h.or rhi mashahr ki to agr sriram masahari hote to sadhu sant bhi majahari hote mandir m bhi mash prsad k roop m chdta esa nhi h na hr Pooja m havan m jagrn m kbhi mas ka prsad dekha h sbse bdi bat h ki ram ka naam ram se bhi bda h vo ese hi nhi Puri duniya m fela hua h ya fir srikisrna ka naam Puri duniya jaanti h
ReplyDeleteसब मोहमाया है पैसों की। भगवान है। ये स्तय है।
Deleteलेकिन राम ने ऐसा क्या किया जिससे पूजा हो।
राम एक इन्सान था। जो अपने सहर का राजा था। ये किताबे उनके लेखाकार लिखा करते थे। ताकि उनके बच्चे पोते अपने पूर्वजो को याद कर सके। ये सब उस समय मे भी मसाले लगा कर लिखी जाती थी।
राम की पत्नी कक रावण उठा ले गया। रावण को मारकर राम अपनी पत्नी को साथ लाया। फिर चरित्रहीन बोलकर सीता माता को जंगल मे छोड दिया।
दूसरा ये की राम की आज्ञा न मानने पर राम ने laxman को मृतुय दंड दिया।
घी के दिये क्यों जलए हम सभी। पत्नी राम जी लाये। अरे मूर्खो राम एक राजा था। उसके पास बहुत सारे सोने चांदी थे। उसके घरवालों ने अपनी खुशियों के लिए जलाए थे। जैसे आज हमारी शादी होती है। हम भी लड़िया light लगाए घूमते है। वैसा ही तब होता था। बस लोगो ने रीत चला दी।
To apna bhi bata na samajhdaar insaan to suar ka rakhwala ya kise aur suli per tange insaan ka beej.
DeleteYa hindu dharam ke dogle un logo se tera nata jinke galat karmo ke karan humney un kayaro ko wahin rakha jahan log suar rakhtey.
Wahi jagah h teri bhi.
अगर आप लोग राम जी को मानते हो तो भगवान वाल्मीकि जी को भी मानो। वाल्मीकि जी ने पहले ही रामायण लिख दी थी। वाल्मीकि जी ना होते तो राम भी ना होते। तोह कहा मतलब हुआ इस बात का पहले वाल्मीकि जी भी भगवान है। उनका मंदिर भी अयोध्या मे बनवाओ
ReplyDeleteतुम लोग तोह गिरे हुए लोग हो। जो जात पात मो bhadawa दे रहे हो हम सभी इंसान है। इंसान की तरह रहो
Abey wah unche insaan.
DeleteDekh kabhi ye na soch ke tum ambedker ya mahan valmike ka copyright leker hue ho.
Jaat paat tune ke h. Valmike ji ke bina mandir ban he nhi sakta.
Hum luv ke vanshaj h aisa bataya jata to wo hamare guru saman h.
Guru bhagwan se bhi bada hota. Usper copyright kaisa kisika.
Ram sabke bhagwan h sirf mere nhi.
Humko na sikha.
Yahi mansikta tumhari tumney maan liya tum neech ho jabki koi jaat neech nhi karm neech hotey.
सत्य वचन भगवान राम वेद विरोधी आचरण कतयी नही कर सकते अगर वो वेदविरोधी है तो वो भगवान नही सर्वश्रेष्ठ अर्थात आर्य नही...
ReplyDeleteअनार्य हो जाऐंगे...यह वाममार्गी वामपंथी चाल हि है
सुंदरकांड ३६:४१-४२ में स्पष्ट है भगवान राम माँसाहार करते थे और मद्यपान करते थे.
ReplyDeleteमुसलमानों और राम के बाप में कोई अंतर नहीं था दसरथ की 4 औरतें थी, सत्य ये है कि राजाओं ने और मंत्रियों ने राम और कृष्ण को भगवान बना दिया ,कृष्ण जैसा लौंडिया बाज आदमी आज होता तो जेल में होता, राम ने गर्भवती सीता को त्यागा, छल से रावड़ को मारा, ऐसे लड़ाकू और अवारा लोग भगवान कैसे हो सकते हैं, जबकि सच्चाई ये है कि 2621 साल के पहले का कोई ळिखित भारतीय प्रमाणित इतिहास नहीं है ,प्राचीन भारतीय इतिहास पढ़ लो
ReplyDeleteइतना जूता मारूंगा की आने वाली सभी पीढ़ी तेरी जूते की शक्ल की होगी मादरचोद, अपना नंबर और एड्रेस दे एक बाप की औलाद है तो
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