क्या भगवान राम मांसाहारी थे,प्रमाण के साथ जानिए सच

मेरे कुछ मित्रों को यह शंका है कि वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान राम मांसाहारी थे.प्रतिदिन वाल्मीकि रामायण से नए-नए श्लोक खोज कर लाए जाते हैं,जो यह सिद्ध करने की कोशिश करते है कि भगवान राम मांसाहारी थे.इस शंका का समाधान होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि भगवान राम के साथ पूरे भारतवर्ष की आस्था जुडी हुई है.


श्रीराम को मांसाहारी बताए जाने का कारण :-





रामायण काल लाखों साल पुराना है.भारतवर्ष में महाभारत काल के पश्चात तथा उसमें भी विशेष रूप से 2400 वर्ष पहले अनेकों परिवर्तन आने शुरू हो गए थे,जैसे ऐश्वर्या वैदिक ज्ञान व वैदिक संस्कृति का लोप होना और वेदों में मिलावट करके खुद वेदों को वेदों के खिलाफ खड़ा करना आदि थे.इन मतों का प्रचार-प्रसार करने का जिम्मा वाममार्ग ने उठाया था.वाममार्ग की मूल विचारधारा वेद विरोधी ही नहीं मानवता विरोधी भी थी.वे मदिरा, मैथून, मीन और मांसाहार को मनुष्य की मुक्ति का मार्ग मानते थे.

मै वाल्मीकि रामायण से ही ऐसे तथ्य दूंगा जो यह साबित कर देंगे की भगवान राम मांसाहारी नहीं थे.

1. रामायण बालकांड



रामायण के बाल कांड में, ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ के समक्ष जाकर उन्हें अपनी समस्या बताते हैं की जब वे यज्ञ करने लगते हैं,तब मारीच और सुबाहु नाम के दो राक्षस यज्ञ में विघ्न डालते हैं.वे माँस,रुधिर (खून) आदि से यज्ञ को अपवित्र कर देते हैं। रजा दशरथ श्री रामचंद्र एवं लक्ष्मण जी को उनके साथ राक्षसों का विध्वंस (मारने ) करने के लिए भेज देते हैं,जिसका परिणाम यज्ञ का निर्विघ्न सम्पन्न होना एवं राक्षसों का संहार होता हैं।जो लोग यज्ञ आदि में पशु बलि आदि का विधान होना मानते हैं, वाल्मीकि रामायण में राजा दशरथ द्वारा किये गये अश्वमेध यज्ञ में पशु बलि आदि का होना मानते हैं उनसे हमारा यह स्पष्ट प्रश्न हैं,अगर यज्ञ में पशु बलि का विधान होता,तो फिर ऋषि विश्वामित्र की तो राक्षस उनके यज्ञ में माँस आदि डालकर उनकी सहायता कर रहे थे नाकि उनके यज्ञ में विघ्न डाल रहे थे.

2.महर्षि वशिष्ठ द्वारा महर्षि विश्वामित्र जी का आदर-सत्कार :-




एक आरोप यह भी लगाया जाता है,कि प्राचीन भारत में अतिथि आदर सत्कार मांस से किया जाता था इस बात का खंडन खुद महर्षि वाल्मीकि जी द्वारा लिखी रामायण में मिलता है जब ऋषि विश्वामित्र ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में पधारते हैं तो ऋषि वशिष्ठ ऋषि विश्वामित्र का सत्कार माँस आदि से नहीं बल्कि सभी गन्ने से बनाये हुए थे,चावल,खीर,दाल,दही आदि से किया था। यहाँ पर माँस आदि का किसी भी प्रकार का कोई उल्लेख नहीं हैं।बाल कांड सर्ग 52 एवं सर्ग 56 श्लोक 1-3

3.सोने का हिरण



एक आरोप यह भी लगाया जाता है कि सोने के हिरण को देखते ही माता सीता ने श्रीराम को अपने तीर कमान निकाल लेने के लिए कहा और उस हिरण का निरीक्षण करने को कहा ताकि वह उसका मांस खा सके इसमें निरीक्षण तक की बात तो ठीक है क्योंकि जंगल में रहते रहते हैं श्रीराम और माता सीता ने अनेकों राक्षसों का सामना कर चुके थे सोने का हिरण देखते ही माता सीता समझ जाती है कि यह भी कोई मायावी राक्षस है जो हिरण के वेश में आया है इसीलिए माता सीता श्रीराम से अपने तीर कमान निकाल के उस हिरण का निरीक्षण करने की बात कहती है ताकि यह पता लग सके कि वह कोई राक्षस तो नहीं है न की उस हिरण का मांस खाने के लिए.

वेद और मनुस्मृति भी मांस भक्षण का विरोध करती है और मांसाहार खाने को मना करते हैं तो फिर यह कैसे कहा जा सकता है कि भगवान राम मांसाहारी थे.

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